Introduction to Economics and Its Types | Economics Online Class
Introduction to Economics and Its Types
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Introduction to Economics |
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Introduction to Economics
अर्थशास्त्र से परिचय
अर्थशास्त्र का अर्थ और परिभाषा
अर्थशास्त्र 2 शब्दों से मिल कर बना है- अर्थ=धन और शास्त्र=वैज्ञानिक अध्ययन । अर्थात अर्थशास्त्र वह शास्त्र है, जिसमें
मनुष्य की धन संबंधी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है ।
अंग्रेजी भाषा में अर्थशास्त्र को ECONOMICS कहा जाता है । अंग्रेजी भाषा का
यह शब्द ग्रीक भाषा के 2 शब्दों यानी OIKOS(घरेलू) तथा NEMEIN(प्रबंध) से लिया गया है। इसका
अर्थ होता है गृह प्रबंध । प्रत्येक गृहस्थ की आवश्यकताएं असीमित होती है, परंतु उन्हें
संतुष्ट करने वाले अधिकतर साधन जैसे-कपड़ा, भोजन, आय आदि सीमित होते हैं । इन्हीं सीमित साधनों
को धन कहा जाता है । प्रत्येक गृहस्थ अपने धन का उचित उपयोग इस तरह से करता है जिससे वह अपनी अधिक
से अधिक आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सके । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उसे अर्थशास्त्र
के अध्ययन की आवश्यकता होगी ।
अर्थशास्त्र
की परिभाषा
अर्थशास्त्र एक विकासशील शास्त्र है । समय-समय पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने
इसकी अलग-अलग परिभाषाएं दी है। अर्थशास्त्र की परिभाषाओं को हम निम्नलिखित भागों में
बांट सकते हैं-
1-धन संबंधी परिभाषा
आधुनिक अर्थशास्त्र के पिता एडम स्मिथ ने 1776 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘An enquiry into
the nature and causes of wealth of nation’ में अर्थशास्त्र की निम्न परिभाषा दी है-
“अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन
की प्रकृति तथा कारणों की खोज है ।"
आलोचना : इस परिभाषा के अनुसार अर्थशास्त्र में मनुष्य के कल्याण के स्थान पर सिर्फ धन (सभी प्रकार की भौतिक वस्तुएं) का अध्ययन किया जाता है | इसलिए कार्लाइल, रस्किन, मौरिस आदि अर्थशास्त्रियों ने इसे दुखदायी विज्ञान (DISMAL SCIENCE) कह कर इसकी निंदा व आलोचना की है |
आलोचना : इस परिभाषा के अनुसार अर्थशास्त्र में मनुष्य के कल्याण के स्थान पर सिर्फ धन (सभी प्रकार की भौतिक वस्तुएं) का अध्ययन किया जाता है | इसलिए कार्लाइल, रस्किन, मौरिस आदि अर्थशास्त्रियों ने इसे दुखदायी विज्ञान (DISMAL SCIENCE) कह कर इसकी निंदा व आलोचना की है |
2-भौतिक कल्याण
संबंधी परिभाषा
डॉ मार्शल ने 1890 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘Principle of Economics’ में अर्थशास्त्र के निम्न परिभाषा दी है-
“अर्थशास्त्र जीवन के साधारण
व्यवसाय के संबंध में मानव जाति का अध्ययन है यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक कार्यों के
उस भाग का अध्ययन करता है। जिसका घनिष्ठ संबंध कल्याण प्रदान करने वाले भौतिक पदार्थों
की प्राप्ति तथा उनका उपयोग करने से है ।"
आलोचना : रॉबिन्स ने कई कारणों से इस परिभाषा की आलोचना की है । उदाहरण के लिए 1)अर्थशास्त्र में सभी मनुष्य के आर्थिक कार्यों का अध्ययन किया जाता है, चाहे वह समाज में रहते हो या एकांत में 2)अर्थशास्त्र में सभी प्रकार के आर्थिक कार्यों का अध्ययन किया जाता है चाहे उनसे कल्याण में वृद्धि हो अथवा ना हो ।
आलोचना : रॉबिन्स ने कई कारणों से इस परिभाषा की आलोचना की है । उदाहरण के लिए 1)अर्थशास्त्र में सभी मनुष्य के आर्थिक कार्यों का अध्ययन किया जाता है, चाहे वह समाज में रहते हो या एकांत में 2)अर्थशास्त्र में सभी प्रकार के आर्थिक कार्यों का अध्ययन किया जाता है चाहे उनसे कल्याण में वृद्धि हो अथवा ना हो ।
3-दुर्लभता संबंधी
परिभाषा
रॉबिंस ने 1932 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “AN ESSAY ON THE NATURE AND
SIGNIGICANCE OF ECONOMICS SCIENCE” में अर्थशास्त्र की दुर्लभता संबंधी परिभाषा दी है । रॉबिन्स के अनुसार-
“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है
जो विभिन्न उपयोगों वाले सीमित साधनों तथा उद्देश्य से संबंध रखने वाले मानवीय व्यवहार
का अध्ययन करता है ।"
आलोचना : डरबिन, फ्रेजर, ऐली अर्थशास्त्रियों ने इस परिभाषा की आलोचना करते हुए कहा है कि रॉबिंस ने अर्थशास्त्र को केवल चुनाव या मूल्य निर्धारण का शास्त्र बना दिया है । इसका मनुष्य के कल्याण और उसकी आर्थिक समस्याओं को सुलझाने से कोई संबंध नहीं रखा गया है । यह अर्थशास्त्र की एक अव्यवहारिक, जटिल तथा अगत्यात्मक परिभाषा है ।
आलोचना : डरबिन, फ्रेजर, ऐली अर्थशास्त्रियों ने इस परिभाषा की आलोचना करते हुए कहा है कि रॉबिंस ने अर्थशास्त्र को केवल चुनाव या मूल्य निर्धारण का शास्त्र बना दिया है । इसका मनुष्य के कल्याण और उसकी आर्थिक समस्याओं को सुलझाने से कोई संबंध नहीं रखा गया है । यह अर्थशास्त्र की एक अव्यवहारिक, जटिल तथा अगत्यात्मक परिभाषा है ।
4-विकास केंद्रित
परिभाषा
आधुनिक अर्थशास्त्री जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रोफेसर सेमुअलसन, पीटरसन, फर्गुसन आदि के अनुसार- “अर्थशास्त्र वह शास्त्र
है जिसमें मनुष्य के उन कार्यों का अध्ययन किया जाता है जो वे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त
करने के लिए सीमित साधनों के उचित प्रयोग के संबंध में करते हैं ।“
अर्थशास्त्र
के भाग
नॉर्वे के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री तथा अर्थशास्त्र के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रैगनर फ़्रिश ने 1933 में अर्थशास्त्र को दो भागों में बांटा है-व्यष्टि अर्थशास्त्र
तथा समष्टि अर्थशास्त्र ।
व्यष्टि अर्थशास्त्र (MICRO
ECONOMICS)
अंग्रेजी भाषा में व्यष्टि को MICRO कहा जाता है | अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द (MIKROS) से लिया गया
है, जिसका अर्थ है-छोटा ।
व्यष्टि अर्थशास्त्र में केवल एक आर्थिक इकाई की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन
किया जाता है। जैसे एक गृहस्थ की आय का अध्ययन या एक फर्म के उत्पादन का अध्ययन। प्रोफ़ेसर
बोर्डिंग के अनुसार-“व्यष्टि अर्थशास्त्र में केवल फर्म, एक गृहस्थ, व्यक्तिगत कीमत, मजदूरी, आय, उद्योग तथा वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है ।“
समष्टि अर्थशास्त्र (MACRO
ECONOMICS)
अंग्रेजी भाषा में समष्टि को MACRO कहा जाता
है | अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द (MAKROS) से लिया गया है। जिसका
अर्थ है-बड़ा
समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक क्रियाओं तथा
आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है । राष्ट्रीय आय और रोजगार और कीमत स्तर यह
विषय समष्टि अर्थशास्त्र के मूल अंग है।
इन नोट्स को समझने के लिए हमारा ये विडियो देखिये-
Video : Introduction to Economics
व्यष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र
(Scope of Micro Economics)
व्यष्टि अर्थशास्त्र
के क्षेत्र या विषय सामग्री को चार भागों में बांटा जाता है।
व्यष्टि अर्थशास्त्र
का क्षेत्र
1-मांग का सिद्धांत
2-उत्पादन
का सिद्धांत
3-कीमत निर्धारण का सिद्धांत
4-साधन कीमत
का सिद्धांत
1-मांग का सिद्धांत व्यष्टि अर्थशास्त्र में यह
अध्ययन किया जाता है कि किसी वस्तु की मांग कैसे निर्धारित होती है ? इसके अंतर्गत
मांग के सिद्धांत का भी अध्ययन
किया जाता है।
2-उत्पादन का सिद्धांत व्यष्टि अर्थशास्त्र में उत्पादन के सिद्धांत का भी अध्ययन
किया जाता है एक फर्म विभिन्न साधनों को एकत्रित करके उत्पादन करती है। इसके अंतर्गत उत्पादन के नियमों
का अध्ययन भी किया जाता है ।
3-कीमत निर्धारण का सिद्धांत एक फर्म अपने उत्पादन को विभिन्न उपभोक्ताओं को किस कीमत पर बेचती है, इसका अध्ययन कीमत निर्धारण
सिद्धांत के अंतर्गत किया जाता है। इस सिद्धांत में मांग व पूर्ति की दशाओं का भी विश्लेषण किया
जाता है ।
4-साधन कीमत का
सिद्धांत किसी भी वस्तु का उत्पादन
करने के लिए चार साधनों की आवश्यकता होती है । भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमी । एक फर्म को अपना
उत्पादन बेचने से जो आय प्राप्त होती है उसे इन
चार साधनों में (क्रमशः लगान,मजदूरी,ब्याज
और लाभ) बांटने का अध्ययन भी इसी साधन कीमत सिद्धांत
के अंतर्गत किया जाता है। इसे साधन या कारक कीमत का सिद्धांत भी कहा जाता है ।
To learn this topic, watch this video :
व्यष्टि अर्थशास्त्र
के अध्ययन का महत्व
(Importance of the study of Micro Economics)
व्यष्टि अर्थशास्त्र
के अध्ययन के निम्न लाभ है।
1-अर्थव्यवस्था
की कार्यप्रणाली
व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली
के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इसे हमें ज्ञात होता है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न
अंग जैसे उपभोक्ता, फर्म आदि कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं अथवा नहीं । प्रो. वाटसन के अनुसार,”‘व्यष्टि अर्थशास्त्र
के कई उपयोग हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोगी है समझाने में है कि अर्थव्यवस्था किस
प्रकार कार्य करती है |”
2-भविष्यवाणी व्यष्टि अर्थशास्त्र
के अध्ययन करके हम आर्थिक भविष्यवाणी कर सकते हैं | क्योंकि यदि एक विशेष घटना घटी है तो उसके
कुछ विशेष परिणाम निकलेंगे | उदाहरण के लिए यदि किसी वस्तु की मांग बढ़ती है तो उसकी कीमतों
में बढ़ने की संभावना होती है ।
3-आर्थिक नीतियां व्यष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग आर्थिक नीति बनाने में भी
किया जाता है | कीमत नीति एक ऐसा उपकरण है जो इस कार्य में बहुत सहायक होती है। इसमें हम अर्थव्यवस्था
को प्रभावित करने वाले सरकारी नीतियों का विश्लेषण कर सकते हैं ।
4-आर्थिक कल्याण व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक कल्याण के लिए आवश्यक
विभिन्न शर्तों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है । व्यष्टि अर्थशास्त्र इस बात का
सुझाव देता है कि आर्थिक कल्याण के आदर्श को कैसे प्राप्त किया जा सकता है |
5-प्रबंध संबंधी
निर्णय व्यष्टि अर्थशास्त्र
का प्रयोग प्रबंध-संबंधी निर्णय लेने में भी किया जाता है । उदाहरण के लिए लागतों तथा मांग का विश्लेषण
करके फ़र्मे अपनी नीतियां निर्धारित
करते हैं ।
6-अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सहयोग व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार की समस्याओं जैसे व्यापार-शेष संतुलन, विदेशी विनिमय दर आदि को साझा किया जाता है।
अर्थशास्त्र
की प्रकृति
(Nature of Economics)
अर्थशास्त्र की प्रकृति
को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक विज्ञान के रूप में दो कला के रूप में।
A-अर्थशास्त्र विज्ञान है
प्रोफेसर सैलिगमैन के अनुसार विज्ञान दो प्रकार का हो सकता है- 1-सामाजिक विज्ञान, 2-प्राकृतिक विज्ञान ।
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, क्योंकि इसका संबंध मनुष्यों से है । जबकि भौतिकी, रसायन आदि प्राकृतिक
विज्ञान है । अर्थशास्त्र को सामाजिक विज्ञान मानने के निम्न कारण है-
1-क्रमागत अध्ययन एक सामाजिक
विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र में मनुष्य के व्यवहार का क्रमागत अध्ययन किया जाता
है ।
2-वैज्ञानिक नियम अर्थशास्त्र के नियम जैसे मांग का नियम पूर्ति का नियम आदि
वैज्ञानिक नियम है। यह नियम विभिन्न चरों के कारण तथा परिणाम में संबंध स्थापित करते हैं उदाहरण- मांग के नियम से प्रकट
होता है कि किसी वस्तु की कीमत बढ़ने से उसकी मांग कम हो जाएगी। इस तरह से अर्थशास्त्र
के नियम, वैज्ञानिक नियमों की
भांति लागू होते हैं ।
3-नियमों की सत्यता प्रत्येक विज्ञान अपने नियमों
की सत्यता की जांच करता है। अर्थशास्त्र
में भी विभिन्न नियमों की सत्यता की जांच की जा सकती है ।
अर्थशास्त्र एक वास्तविक
(POSITIVE) विज्ञान तथा आदर्शात्मक (NORMATIVE) विज्ञान के
रूप में।
अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान के रूप में-
वास्तविक विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें किसी विषय की सही तथा वास्तविक स्थिति
का अध्ययन किया जाता है। एक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र के कथन वास्तविक कथन होते
हैं। वास्तविक कथन वे कथन होते हैं जिन से ज्ञात होता है कि “क्या है? क्या था तथा
विशेष परिस्थितियों में क्या होगा ?”
उदाहरणतया- भारत के जनसंख्या 125 करोड़ है । भारत की विकास दर 7% है । यह वास्तविक विज्ञान
कथन के उदाहरण है ।
अर्थशास्त्र एक आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में-
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जैसे मार्शल, पीगू आदि यह मानते थे कि अर्थशास्त्री आदर्शात्मक विज्ञान भी है | आदर्शात्मक विज्ञान वह विज्ञान
है जिसमें क्या होना चाहिए का अध्ययन किया जाता है |
उदाहरण के लिए भारत की जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए । भारत की विकास
दर 10% से अधिक होनी चाहिए। कीमतों में स्थिरता पाए जानी चाहिए | आय का समान वितरण होना
चाहिए ।
संक्षेप में अर्थशास्त्र एक वास्तविक
विज्ञान भी है और आदर्शात्मक विज्ञान भी है ।
B-अर्थशास्त्र कला का कला के रूप में
किसी निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ज्ञान का व्यवहारिक प्रयोग कला कहलाता
है। अर्थशास्त्र में विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्र के सिद्धांतों
का व्यवहारिक रूप में प्रयोग किया जाता है। अतः अर्थशास्त्र को एक कला के रूप में भी परिभाषित
किया जा सकता है । प्रो. जे. एम. केन्ज ने कला के स्थान पर व्यावहारिक अर्थशास्त्र शब्द का प्रयोग किया है।
आधुनिक अर्थशास्त्री कला के लिए आर्थिक नीति शब्द का प्रयोग करते हैं ।
अंत में हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों ही हैं।
प्रोफेसर चेपमेन में ने ठीक ही कहा है कि “अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है जो आर्थिक तथ्यों की वास्तविक स्थिति से संबंधित है और एक कला है
जो इस प्रकार के उपाय और साधन ढूंढता है जिनसे इच्छित लक्ष्य प्राप्त किए जा सकें ।“
इन नोट्स को यहाँ से डाउनलोड करें-
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बहुत ही ज्यादा अच्छे नोट्स है सर... थैंक यू
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