Indifference Curve and Consumer Equilibrium | Economics Online Class
Indifference Curve and Consumer Equilibrium
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Today's Topic :
Economics Online Class : Indifference Curve and Consumer Equilibrium
तटस्थता वक्र
(Indifference Curve)
तटस्थता वक्र, एक तटस्थता समूह का रेखाचित्र प्रस्तुतीकरण है | यह दो वस्तुओं
(सेब और संतरे) के
उन सभी संयोगों को प्रकट करता है, जिनके
बीच उपभोक्ता तटस्थ होता है। प्रत्येक संयोग संतुष्टि का समान पर प्रदान करता है।
Indifference Curve |
यदि हम तटस्थता समूह तालिका को रेखाचित्र के रूप में प्रस्तुत करें तो हमें तटस्थता वक्र प्राप्त
होता है। तालिका को रेखाचित्र के रूप में
प्रस्तुत करने पर हमें 4 बिंदु ABCD प्राप्त होते हैं। OX अक्ष पर सेब तथा OY अक्ष
पर संतरे दर्शाए गए हैं। उपभोक्ता इन इन चार बिंदुओं पर समान
संतुष्टि प्राप्त करता है। अतः वह इन चारों बिन्दुओं के प्रति
तटस्थ होता है।
तटस्थता मानचित्र
(Indifference Map)
तटस्थता मानचित्र, तटस्थता वक्रों के एक समूह को व्यक्त करता है। एक ऊंचा
तटस्थतावक्र IC2 संतुष्टि के ऊंचे स्तर को प्रकट करता है।
तटस्थता वक्र की मुख्य विशेषताएं
(Properties of Indifference Curve)
तटस्थता वक्र (IC) की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित होती हैं-
तटस्थता वक्र (अनधिमान वक्र) ऋणात्मक
ढाल वाली होती है अथवा उसका ढाल नीचे की ओर होता है- एक तटस्थता वक्र का ढलान बाएं से दाएं नीचे की ओर होता है| यह
प्रकट करती है कि यदि एक वस्तु अधिक ली जाती है तो दूसरी कम ली जाएगी | इसलिए कुल संतुष्टि
किसी भी बिंदु पर समान रहती है।
तटस्थता वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर (Convex)
होती है- तटस्थता वक्र
सामान्यतः मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर होती है। इसका कारण सीमांत
प्रतिस्थापन दर (MRS) की घटना है।
दो तटस्थता वक्र कभी भी एक दूसरे को छूते या काटते नहीं है- प्रत्येक तटस्थता वक्र संतुष्टि
के विभिन्न स्तरों को प्रकट करती है | इसलिए इनका एक दूसरे को
काटना संभव नहीं होता।
ऊंची तटस्थता वक्र संतुष्टि के ऊंचे स्तर को दर्शाती है- तटस्थता मानचित्र
में एक ऊंची तटस्थता वक्र (IC2) नीचली तटस्थता वक्र (IC1) तुलना में उन संयोगों को प्रकट
करती है, जिनसे संतुष्टि का उच्च स्तर प्राप्त होता है।
तटस्थता वक्र न तो X
अक्ष को और ना ही Y अक्ष को छूती है- तटस्थता वक्र में यह मान्यता होती है कि एक उपभोक्ता दो
वस्तुओं की विभिन्न मात्राओं के एक संयोग को खरीदता है। इसलिए तटस्थता
वक्र न तो X अक्ष को और ना ही Y अक्ष को छूती है।
उपभोक्ता संतुलन
(Consumer Equilibrium)
उपभोक्ता का संतुलन उस स्थिति में होता है जिसमें वह अपने निर्धारित आय को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार
खर्च करता है कि उसका संतुष्टि स्तर अधिकतम हो। उपभोक्ता उस स्थिति
में संतुलन में होगा जब उसका तटस्थता वक्र और बजट रेखा एक दूसरे को स्पर्श
करते हो।
अन्य शब्दों में, हम कह सकते हैं कि उपभोक्ता संतुलन तब
होता है जब कीमत रेखा (AD) का ढलान तटस्थता
वक्र (IC) के ढलान के बराबर होता है और यह इसे स्पर्श करता है।
इसे हम निम्न रेखा चित्र द्वारा समझा सकते हैं-
Consumer Equilibrium |
रेखाचित्र में OX अक्ष पर पहली वस्तु अर्थात सेब और OY अक्ष पर दूसरी वस्तु अर्थात संतरे को दर्शाया गया है। AD उपभोक्ता की बजट रेखा है तथा IC तटस्थता वक्र है। यह दोनों एक दूसरे को E बिंदु पर स्पर्श करते हैं | अतः उपभोक्ता संतुलन E बिंदु पर होता है। इसके विपरीत यदि उपभोक्ता
कोई अन्य बिंदु जैसे X (बजट रेखा की सीमा के अंदर) को चुनता है, तो इसका अर्थ है कि वह अपने संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं कर रहा
है। यदि उपभोक्ता एक ऊंचे तटस्थता वक्र IC2 पर किसी बिंदु Z को चुनता है तो वह उस बिंदु
पर भी संतुलन प्राप्त नहीं कर पाएगा। क्योंकि वह उसकी बजट रेखा से बाहर है।
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