Introduction to Statistics and its types | Statistics as Plural Noun
Introduction to Statistics and its types
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Introduction to Statistics |
सांख्यिकी
क्या है ? (What is Statistics ?)
सांख्यिकी से अभिप्राय है संख्यात्मक सूचनाओं या उनसे संबंधित परिमाणात्मक तथ्यों
एवं निष्कर्ष का अध्ययन करना । सामान्य शब्दों में कहा जा सकता है कि सांख्यिकी का
अर्थ संख्यात्मक सूचनाओं का अध्ययन करना तथा निष्कर्ष निकालना होता है ।
सांख्यिकी के अंतर्गत विभिन्न तकनीकों तथा उपायों से, सूचनाओं का भंडार एकत्रित करके उनका वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा निर्वचन किया जाता है ।
सांख्यिकी को एकवचन तथा बहुवचन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
सांख्यिकी-बहुवचन संज्ञा
के रूप में (Statistics-As Plural Noun)
बहुवचन के रूप में सांख्यिकी का अर्थ अंकों के रूप में व्यक्त की गई सूचनाओं
अथवा आंकड़ों से होता है । जैसे जनसंख्या संबंधी आंकड़े, रोजगार संबंधी आंकड़े आदि | परंतु यहां
यह उल्लेखनीय है कि किसी एक संख्यात्मक तथ्य को सांख्यिकी नहीं कहा जाता । उदाहरण के
लिए राम का वेतन 10000 है | यह सांख्यिकी
नहीं कह लाएगी । क्योंकि यह आंकड़ा न तो एक आंकड़ों का समूह है और ना ही एक औसत है।
अतः संख्यात्मक तथ्यों के समूह को ही सांख्यिकी कहा जाता है ।
आंकड़े जो सांख्यिकी
नहीं है ।
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आंकड़े जो सांख्यिकी
है ।
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गाय के चार टांगे हैं |
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गाय के चार, मनुष्य की दो और कनखजूरा की सौ टांगे होती हैं ।
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राम के पास ₹100 हैं ।
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राम के पास ₹100, श्याम पास ₹200 और मोहन के
पास ₹400 हैं ।
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कार की गति 100
कि.मी. प्रति घंटा होती है |
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एक कार की गति 100, साइकिल के गति
15, तथा वायुयान की गति 800 किलोमीटर प्रति घंटा
होती है ।
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अतः सभी सांख्यिकी आंकड़े हैं, परंतु सभी आंकड़ों को सांख्यिकी नहीं कहा
जा सकता ।
परिभाषा
यूल तथा केन्डाल के अनुसार, “आंकड़ों से हमारा अभिप्राय उन संख्यात्मक तत्वों
से हैं जो पर्याप्त सीमा तक अनेक प्रकार के कारणों से प्रभावित होते हैं ।”
वालिस एवं रोबर्ट्स के अनुसार, “समंक तथ्यों के परिमाणात्मक पहलुओं के संख्यात्मक
विवरण हैं जो मदों को गिनती या माप के रूप में प्रकट करते हैं ।”
सांख्यिकी की बहुवचन संज्ञा अथवा समंकों (Data) के रूप में विशेषताएं
1-तथ्यों का समूह- एक अकेली संख्या समंक नहीं कहलाती है क्योंकि उससे कोई निष्कर्ष
नहीं निकाला जा सकता | अनेक तथ्यों से संबंधित संख्याओं को सांख्यिकी
या समंक कहा जाता है । क्योंकि उनकी आपस में तुलना की जा सकती है तथा निष्कर्ष निकाले
जा सकते हैं । उदाहरण के लिए यह कहा जाए कि हमारे विद्यालय में 1000 विद्यार्थी है, सांख्यिकी नहीं कह लाएगी । इसके विपरीत यदि यह कहा जाए कि हमारे
विद्यालय में 9वी में 300, दसवीं में
300, 11वीं में 250,
12वीं में 150 विद्यार्थी हैं तो यह सांख्यिकी
की कहलाएगा ।
2-संख्याओं में व्यक्त- केवल संख्याओं में तथ्यों को ही सांख्यिकी कहा जाता है और गुणात्मक तत्वों
जैसे छोटा या बड़ा, गरीब या अमीर आदि को सांख्यिकी नहीं कहा जाता है । उदाहरण के लिए
यदि हम कहें कि राम लंबा है और श्याम छोटा है तो यह कथन सांख्यिकी नहीं कहलाएंगे, परंतु
यदि कहा जाए कि राम की लंबाई 5 फुट
10 इंच और श्याम की लंबाई 5 फुट 5 इंच है तो यह कथन सांख्यिकी कहलाएंगे ।
3-अनेक कारणों से प्रभावित- आंकड़ों पर किसी एक कारण का प्रभाव नहीं पड़ता अपितु वह
कई कारणों से प्रभावित होते हैं । यदि आंकड़े केवल एक ही कारण से प्रभावित होते हैं
तो उस कारण से हटाने के बाद वे सामान्य हो जाएंगे और उनका कोई महत्व नहीं रहेगा । उदाहरण
के लिए किसी वस्तु की कीमत में 30% वृद्धि
हो गई है तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैसे आपूर्ति में कमी, मांग में वृद्धि,
श्रमिकों को अधिक मजदूरी या करो में वृद्धि आदि
4-उचित मात्रा में शुद्धता- सांख्यिकी में आंकड़ों को एकत्रित करते समय शुद्धता के उचित
स्तर का ध्यान रखना आवश्यक है । अशुद्ध आंकड़ों का कोई महत्व नहीं होता है । क्योंकि
अशुद्ध आंकड़ों से निकाले गए निष्कर्ष भी गलत होंगे ।
5-एक दूसरे से संबंधित रूप में होना- केवल उन संख्याओं को समंक कहा जाएगा जो एक दूसरे से संबंधित
हो अर्थात उनकी परस्पर तुलना की जा सके | यदि उनमें तुलना का गुण न हो तो वह संख्यात्मक
होने के बावजूद सांख्यिकी नहीं कहलाएंगे । उदाहरण के लिए यदि हम कहे की राम की आयु 20 साल, मोहन की लंबाई 5 फुट है और श्याम
का वजन 50 किलो है तो इन संख्याओं को संबंध नहीं कहा जाएगा क्योंकि
इनका आपस में कोई संबंध नहीं है और इनकी तुलना नहीं कर सकते । इसके विपरीत यदि तीनों
की आयु या लंबाई या वजन संबंधी आंकड़े दे रखे हैं तो इसे समंक कहा जाएगा ।
6-पूर्व निश्चित उद्देश्य- आंकड़े किसी पूर्व निश्चित उद्देश्य के लिए ही एकत्रित किए जाते हैं । बिना
किसी उद्देश्य के लिए एकत्रित की गई सूचनाएं केवल संख्याएं कहलाएंगी, उन्हें सांख्यिकी
नहीं कहा जाएगा । उदाहरण के लिए किसी गांव के किसानों के संबंध में आंकड़े एकत्रित
किए जा रहे हैं तो इसका कोई पूर्व निश्चित उद्देश्य होना चाहिए कि उन्हें क्यों एकत्रित
किया जा रहा है ? उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए
अथवा उनके पास उपलब्ध जमीन का वितरण जानने के लिए अथवा उनकी जनसंख्या का पता लगाने
के लिए या किसी अन्य उद्देश्य के लिए आंकड़े एकत्रित किए जा रहे हैं ।
7-गणना तथा अनुमान- समंकों को गणना द्वारा या अनुमान द्वारा एकत्रित किया जा सकता है । यह अनुसंधान
के क्षेत्र पर निर्भर करता है । यदि अनुसंधान का क्षेत्र विस्तृत है तो अनुमान विधि
उपयुक्त हो सकती है । जैसे प्रधानमंत्री मोदी की दिल्ली सभा में लगभग 100000 लोग तथा मुंबई की सभा में 200000 लोग आए थे । इसके विपरीत यदि अनुसंधान का क्षेत्र सीमित है तो गणना पद्धति
उचित होगी | जैसे यदि हमें किसी कक्षा में उपस्थित विद्यार्थियों के बारे में जानकारी
लेनी है तो उन्हें गिन कर ही पता करना ही बेहतर है ।
8-व्यवस्थित रूप से संकलित- आंकड़ों का व्यवस्थित रूप से संकलित किया जाना आवश्यक है
। इन्हें एकत्रित करने से पहले योजना बनाकर योजना बना लेनी चाहिए और अव्यवस्थित रूप
से संकलित किए गए आंकड़ों से कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकेगा ।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जब तक तथ्यों से संबंधित संख्याओं में उपरोक्त
गुण न हो तो उन्हें सांख्यिकी नहीं कहा जाएगा । अतः यह कथन सही ही है कि सभी आंकिक
आंकड़ों को सांख्यिकी नहीं कहा जा सकता परंतु सभी सांख्यिकी को आंकिक आंकडें कहा जा
सकता है ।
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