Distrust of Statistics | Economics Online Class
Distrust of Statistics
In this post of Economics Online Class, we will learn about Statistics as singular Noun and its importance in details.
We continuously providing your all Economics Notes about Micro Economics, Macro Economics and Syllabus information. These Economics Notes in Hindi language.
TOPIC
सांख्यिकी
की अविश्वसनीयता (Distrust of
Statistics)
सांख्यिकी के प्रति अविश्वसनीयता का कारण क्या है ?
Economics Online Class : Distrust of Statistics
सांख्यिकी
की अविश्वसनीयता (Distrust of
Statistics)
कुछ लोग सांख्यिकी पर विश्वास करते हैं । सांख्यिकी पर अविश्वास के संबंध में
निम्न कथन कहे जाते हो।
1- सांख्यिकी झूठ का इंद्रधनुष है ।
2- सांख्यिकी झूठ के तंतु है ।
3- सांख्यिकी कुछ भी सिद्ध कर सकती है ।
4- सांख्यिकी कुछ भी सिद्ध नहीं कर सकती ।
5- सांख्यिकी गीली मिट्टी के समान है जिससे आप देवता या शैतान
जो भी इच्छा हो बना सकते हैं ।
6- डिजरायली नाम के अर्थशास्त्री ने तो यह तक कहा है, “झूठ के तीन प्रकार हैं - झूठ,
सफेद झूठ तथा सांख्यिकी ।”
सांख्यिकी के प्रति अविश्वास होने का मुख्य कारण यह है कि अधिकतर लोग आंकड़ों
पर सहज विश्वास कर लेते हैं। इसलिए कुछ व्यक्ति इस विश्वास का फायदा उठाने के लिए आंकड़ों
का गलत प्रयोग करते हैं। वह गलत निष्कर्ष निकाल कर जनता को गुमराह करते हैं ।
सांख्यिकी के प्रति अविश्वसनीयता का कारण क्या है ?
1- एक ही समस्या के संबंध में विभिन्न प्रकार के आंकड़े प्राप्त
होते हैं ।
2- पूर्व निर्धारित निष्कर्षों को सिद्ध करने के लिए आंकड़ों
को बदला जा सकता है ।
3- सही आंकड़ों को भी इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है कि
पढ़ने वाला संशय में पड़ जाए ।
4- जब आंकड़ों का संकलन पक्षपातपूर्ण ढंग से किया जाता है तो
परिणाम भी समान्यतः गलत निकलेंगे । इसके फलस्वरूप लोगों का इनमें विश्वास नहीं रह जाता
।
यदि उपरोक्त तर्कों को यदि हम ध्यान से देखेंगे तो हमें पता चलेगा कि आंकड़ों
को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जाए तो इसमें सांख्यिकी की विषय-सामग्री का दोष नहीं है
। यह दोष उन लोगों का है जो गलत आंकड़ों का संकलन करते हैं या उनसे गलत निष्कर्ष निकालते
हैं । आंकड़े स्वयं कुछ भी सिद्ध नहीं कर सकते | वे तो सांख्यिकीविद् के हाथ में
औजार मात्र हैं । यदि सांख्यिकीविद् उनका गलत उपयोग करता है तो दोष उस सांख्यिकीविद्
का है, आंकड़ों का कोई दोष नहीं है । उदाहरण के लिए एक योग्य चिकित्सक रोग के अनुसार
दवा का प्रयोग करके रोग दूर कर सकता है | परंतु अयोग्य डॉक्टरों के हाथ में पड़कर वही
दवा जहर का काम कर सकती है । इसमें दोष दवा का नहीं बल्कि अयोग्य चिकित्सक का है |
इसी तरह गलत निष्कर्ष निकालने में आंकड़ों या सांख्यिकी का कोई दोष नहीं होता ।
वास्तव में आंकड़ों पर न तो बिना सोचे-समझे भरोसा कर लेना चाहिए और ना ही उन
पर अविश्वास करना चाहिए । आंकड़ों का प्रयोग करते समय सतर्कता और सावधानी से काम लिया
जाना चाहिए | किंग के अनुसार, “सांख्यिकी विज्ञान एक अत्यंत उपयोगी सेवक है परंतु
इसका मूल्य केवल उन्हीं के लिए है जो इसका उचित उपयोग जानते हैं ।”
सांख्यिकी के प्रति अविश्वास कैसे दूर किया जाए ?
निम्न उपायों के को अपनाकर सांख्यिकी के प्रति अविश्वास दूर किया जा सकता है-
1-सांख्यिकी है सीमाओं की ओर ध्यान- सांख्यिकी का प्रयोग करते समय सांख्यिकी की सीमाओं को ध्यान
में रखना चाहिए जैसे आंकड़ों को एक रूप तथा सजातीय होना चाहिए ।
2-पक्षपात रहित- अनुसंधानकर्ता को पक्षपात रहित होना चाहिए | उसे केवल उचित आंकड़ों का प्रयोग
करना चाहिए तथा उनसे बिना किसी पक्षपात के सही निष्कर्ष निकालने चाहिए ।
3-विशेषज्ञों द्वारा प्रयोग- सांख्यिकी का प्रयोग केवल विशेषज्ञों
द्वारा किया जाना चाहिए, जिससे गलतियों की संभावना कम हो जाएगी ।
You may Also read this-
यदि आपको उपरोक्त में कोई शंका या सवाल है तो आप हमें कमेंट कर सकते है |
~Admin
Team Economics online class working hard to provide you all Economics notes. We will upload all notes of this Economics course by CBSE and HBSE (Haryana board)If you have any doubt or questions, just write us on the comment box of Economics Online Class
कोई टिप्पणी नहीं
Thank you for contacting us. Our team will contact you very soon.